रीपा से जुड़ी उमा समूह की महिलाओं द्वारा प्रारंभिक चरण में 130 लीटर तेल का किया गया उत्पादन* *250-350 रूपए प्रति लीटर की दर से तेल का कर रहीं विक्रय
तेल प्रसंस्करण इकाई से महिलाओं का हो रहा आजीविका संवर्धन
कोरबा , महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क से ग्रामीणों के जीवन में सकारात्मक बदलाव सामने आ रहे हैं। रीपा के माध्यम से उन्हें रोजगार का प्रमुख जरिया मिला है। जहां संचालित आजीविका संवर्धन कार्यों से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं स्वावलंबन की राह पर अग्रसर हो रहे हैं। इसी कड़ी में जिले के जनपद पंचायत करतला के ग्राम कोटमेर में स्थापित ग्रामीण औद्योगिक केंद्र में तेल प्रसंस्करण, दाल प्रसंस्करण, आचार-पापड़ निर्माण जैसे विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियां संचालित की जा रहीं हैं। इनसे महिलाओं को अपने घर के पास ही नियमित रूप से रोजगार प्राप्त हो रहा है और वे आत्मनिर्भर बन रहीं हैं।
ग्राम पंचायत कोटमेर में स्थापित रीपा से जुड़ी उमा स्वसहायता समूह की महिलाएं तेल प्रसंस्करण का कार्य कर रही हैं। उनके द्वारा तेल प्रसंस्करण का कार्य करते हुए सरसों, मूंगफली, डोरी आदि का तेल निकाला जा रहा है। एनआरएलएम के क्षेत्रीय समन्वयक सुरेश निर्मलकर ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर महिलाओं द्वारा सरसों और मूंगफली का प्रसंस्करण कर लगभग 130 लीटर तेल निकाला गया है, जिसे समूह की महिलाएं सीमार्ट, हसदेव मार्ट और स्थानीय बाजार में 250 रू. से लेकर 350 रू. प्रति लीटर की दर से विक्रय कर रही है। इससे प्राप्त लाभ से समूह की महिलाओं का आजीविका संवर्धन हो रहा है जिससे वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में अपना योगदान दे रहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि करतला एक वन आच्छादित क्षेत्र है, जहां पर ग्रामीणों द्वारा वनोपज संग्रहण किया जाता है। यहां पर अच्छी गुणवत्ता का महुआ बहुतायत में पाया जाता है। जिससे डोरी अधिक मात्रा में उपलब्ध रहता है। डोरी तेल शुद्ध एवं प्राकृतिक गुणों से संपन्न होता है। जिसका उपयोग यहां के लोग खाने, पूजा पाठ में तथा शरीर में लगाने में करते हैं। इसके साथ ही इस क्षेत्र में मूंगफली की खेती भी पर्याप्त मात्रा में होती है, जिससे मूंगफली भी यहां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है। तेल प्रसंस्करण इकाई द्वारा निकाला गया तेल शुद्ध, रसायन रहित, अच्छी गुणवत्ता की है, जिसकी पैकेजिंग एवं ब्रांडिंग का कार्य भी समूह की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है।