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KORBA

कड़ाके की ठंड ने भी नही बदल सका हमारा फैसला:-आखिरकार कारगिल जीत का ताज भारत ने पहना

कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है।


कोरबा( न्यूज उड़ान) भारत में प्रत्येक साल 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है।

 

इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था। जो 60 दिन चला और आज ही के दिन 26 जुलाई को भारत को विजय मिली थी।

 

कारगिल विजय दिवस युद्ध में बलिदान हुए भारतीय जवानों के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है।

यहां यह बताना आवश्यक होगा की पूर्व सेना नायक कारगिल विजेता श्री प्रेम सोनी अब भी लड़ाई लड़ रहे हैं।अब की लड़ाई अशिक्षा के विरुद्ध तमस तीमीर को विद्यार्थी के जीवन से समाप्त कर शिक्षा का प्रकाश माध्यमिक शाला रंगोले संकुल धौराभाठा में फैला रहे हैं।

25 साल पहले भारत व पाकिस्तान के बीच कारगिल सेक्टर में युद्ध हुआ था,कड़ाके की ठंड के बीच पाकिस्तान के गलत इरादे को भारतीय सैनिकों ने अपने बुलंद हौसले व जज्बे से परास्त कर दिया था।

 

इस युद्ध में भारतीय सेना के भारत मां के सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति देकर मां भारती का सर गर्व से ऊँचा किया था।

 

माइनस डिग्री निम्न तापमान में हमारे सैनिकों ने अपनी बहादुरी और साहस का परिचय देकर कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त की थी।

छत्तीसगढ़ के जवानों ने अपनी वीरता और साहस का प्रदर्शन दिल खोल कर किया था।

 

सेना नायक प्रेम सोनी बताते हैं की मां भारती की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं। उसे उस दौर की पूरी घटना उनकी आंखों के सामने आ गई।

वह बताते हैं कि माइंस डिग्री तापमान में हम सब ने अपनी अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया था।

 

हमारे लिए केवल और केवल भारत मां की सेवा ही दिखाई दे रहा था। भारतीय सेना के लिए कारगिल सेक्टर महत्वपूर्ण है।
नवंबर दिसंबर के महीने में यहां कड़ाके की ठंड पड़ती है।

 

भारत-पाकिस्तान के बीच जब युद्ध की शुरुआत हुई तब यहां ठंड भी हड्डितोड़ की पड़ रही थी।

बर्फ की चादरों से ढकी पहाड़ी और घने कोहरे के बीच दुश्मनों की हलचल को देखना और उस पर अचूक निशाना लगाना भी एक बड़ी चुनौती थी।

साहस के दम पर हमने इस चुनौती को भी जीत पाए और और दुश्मनों को पीछे धकेलने और खदेड़ने में भी सफलता पाई।

हम उस टुकड़ी में शामिल थे जिनका काम पैदल सैनिकों को कवर करना और सुरक्षा देना था । फौजियों की जान माल की सुरक्षा एवं आगे की मंजिल सुरक्षित रखना भी हमारी जिम्मेदारी थी।

 

पूर्व सेना नायक श्री सोनी बताते हैं की कारगिल युद्ध के दौरान आर्टिलरी फोर्स में वे तैनात थे।

 

युद्ध प्रारंभ होने के तकरीबन 8 दिन बाद सैन्य मुख्यालय से देर रात संदेश मिला तत्काल कारगिल के लिए कुछ करें हम सब गहरी नींद में सोए थे।

कैंप में अलार्म बजने लगा हम सब तत्काल उठे और गन लेकर बाहर निकले हमें लगा कोई घटना घट गई है।

कैंप परिसर में हम सब एकत्र हो गए और पोजीशन ले लिए इस बीच अफसर की आवाज गूंजी कारगिल के हालात ठीक नहीं है।

 

द्रास सेक्टर में कूच करने का आदेश जारी हुआ। जरूरी सामान लेकर वाहन में बैठें,और द्रास सेक्टर के लिए प्रस्थान करे, 8 से 10 घंटे के सफर के बाद हम सब लोग गंतव्य पहुंचे फिर जब 60 दिन बाद आए तब भारत माता ने मुस्कुरा कर आशीर्वाद दिया।


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