KORBA
जन्मों संगवारी मन ल छत्तीसगढ़ लोक आस्था दान अउ मांग के परब छेरछेरा पुन्नी के टुकनी- टुकनी, चूंडी-चूंडी अऊ गाड़ा-गाड़ा बधाई हे….छेरछेरा
जन्मों संगवारी मन ल छत्तीसगढ़ लोक आस्था दान अउ मांग के परब छेरछेरा पुन्नी के टुकनी- टुकनी, चूंडी-चूंडी अऊ गाड़ा-गाड़ा बधाई हे….छेरछेरा
बड़े बिहनिये संगी जहूरिया,
झोला धरे आये हें ।
कुलकित दिखय चेहरा मुंदरा,
जमें झन हर्षाये हें ।
छेरछेरा संग जोहार पलगी,
करत सोर मचाये हें ।
ढोल मंजिरा डंडा नाचत,
खोल गली म संकलाये हें ।
झंगलू मंगलू धान के बोरा ल,
अलगाये हें ।
टुकनी टुकनी धान ल,
बबा ह मंगाये हे ।
घेरी घ झोंकावय टुरा मन,
डोकरी दाई करलाये हे ।
नान्हे नान्हे नोनी मन,
घलो टोली म आये हें ।
छेरछेरा के नारा ल,
*घरो घर बगराये हें ।
छत्तीगढ़ ह आज संगी हो,
अपन रूप म आये हे ।
कोन गरिब के कोन गौटिया,
जम्मों भेद मिटाये हे ।
छत्तीसगढ़ के मियारी तिहार ल,
घरो घर मनाये हे ।
घरो घर मनाये हे ।
रचनाकार- प्रहलाद चन्द्र लखलिया