प्रदेश के मुखिया हार की असली वजह, विकास कार्य रोकने के लिए चुन चुनकर अधिकारियों को कोरबा भेजा गया : पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल
कोरबा ( न्यूज उड़ान ) कांग्रेस की सरकार जाने के बाद अब समीक्षा का दौर जारी है। कोरबा जिले में भी शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी ने हार को लेकर मंथन किया।
इस दौरान कोरबा विधायक और सरकार में राजस्व मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल का गुस्सा फूटा पड़ा ,उन्होंने सीधे-सीधे प्रदेश के मुखिया को हार की असली वजह करार दिया है।
जयसिंह ने कहा कि जिसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया, जिन्होंने पांच साल सरकार की अगुवाई की उनकी गलत नीतियों और तानाशाही रवैया ही हार का असली कारण है।
खासतौर पर कोरबा जिले में चुन चुनकर ऐसे अधिकारियों को भेजा गया। जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहे, चलते हुए विकास कार्य को बीच में रोक दिया गया, ऐसे कार्य किये गए जिससे कांग्रेस की छवि खराब हुई , जिले में कांग्रेस डैमेज हुई।
कार्यकर्ताओं के काम नहीं हुए चारों ओर नाराजगी फैल गई जिसका परिणाम यह रहा की पूरे राज्य में ही सत्ता परिवर्तित हो गई और बीजेपी बड़ा जनादेश मिला।
2018 के चुनाव में मिले जनादेश का सम्मान नहीं कर सके :
जयसिंह ने कहा कि 2018 के चुनाव में हमारी पार्टी ने जिस तरह से चुनाव लड़ा। तब हम विपक्ष में थे ,प्रदेश अध्यक्ष बघेल भूपेश बघेल थे, टीएस सिंहदेव के पास भी अहम जिम्मेदारी थी, इसके बाद 2018 में हमे जो जनादेश मिला था, हम उसका सम्मान नहीं कर पाए।
सरकार चलाने का जो तरीका था, वह एक ही स्थान पर केंद्रीकृत हो गया, मंत्रियों को जो अधिकार मिलने चाहिए थे, वह नहीं मिल पाए, सिर्फ एक स्थान से सेंट्रलाइज होकर कुछ चुनिंदा लोगों के साथ 5 वर्षों तक काम किया गया।
फिर सरकार के कामकाज पर जो आरोप लगा, भारतीय जनता पार्टी ने भी खुलासे किये, कई तरह की बातें सामने आई, खींचतान का माहौल निर्मित हुआ इन बातों का नुकसान कांग्रेस को हुआ जिसके कारण भाजपा को इतना बड़ा जनादेश मिला।
महिलाओं के लिए घोषणा करने में हम हुए लेट :
जयसिंह के यह भी कहा कि महिलाओं को ₹1000 प्रतिमाह देने के लिए बीजेपी ने इस योजना को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया।
घोषणा पत्र तीन नवंबर को जारी हुआ। हमारा घोषणा पत्र 5 नवंबर को जारी किया गया, हमारी घोषणा मुख्यमंत्री ने दिवाली के समय की,खबर लोगों तक पहुंच नहीं पाई।
इसमें भी हम लेट हो गए, बीजेपी ने जो फार्म भरवारा उसकी विश्वास भले ही ना रही हो लेकिन लोग कहीं ना कहीं उससे प्रभावित हुए, माताओ बहनों ने उस पर विश्वास किया।
जब किया ठीक उसी तरह के घोषणा है जैसे कि प्रधानमंत्री ने कहा था लोगों का खाता में 15-15 लाख रुपए आएंगे।
योजनाएं सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में केंद्रित, इसलिए शहरी सीट हारे :
आगे जयसिंह ने कहा कि प्रदेश भर के शहरी क्षेत्र में हम बुरी तरह से पिछड़ गए। सरकार ने किसानों पर ध्यान दिया, बेशक उनके काम भी हुए, लेकिन ऐसा लगता है कि, हमारे मुखिया को कहीं ना कहीं यह विश्वास था कि ग्रामीण क्षेत्र की सारी सीट जीत लेंगे।
शहरी क्षेत्र की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन यह भी गलत साबित हुआ, शहरों में विकास हुआ, लेकिन सारी सीट भाजपा को मिल गई शहरी क्षेत्र की सारी सीटों पर कांग्रेस को हार मिली।
सुनियोजित षड्यंत्र के तहत कोरबा के विकास कार्यों को रोका गया :
कोरबा विधानसभा की हार पर चर्चा करते हुए जयसिंह ने कहा कि कोरबा विधानसभा में मैंने कई काम कराया,जो काम नहीं हुए, उसके लिए सार्वजनिक उपक्रमों से सहायता ली, एसईसीएल क्षेत्र 199 करोड़ रुपये सैंक्शन , इसके बाद एनटीपीसी से करोड़ों का फंड विकास करने के लिए फंक्शन कराया है लेकिन कलेक्टर ने इस फंड को रोक दिया काम नहीं होने दिया।
ऐसे अधिकारियों को चुन- चुनकर यहां भेजा गया जिन्होंने काम में व्यवधान उत्पन्न किय, चलते हुए काम को बीच में रोक दिया गया, जिससे लोगों में नाराजगी फैल गई।
कार्यकर्ताओं के काम भी नहीं हो रहे थे। सुनियोजित षड्यंत्र के तहत अधिकारियों को कोरबा में काम रोकने के लिए भेजा गया, गलत काम करवाए गए, जिससे कांग्रेस पार्टी यहां डैमेज हुई।
न सिर्फ कोरबा में बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। जितने भी अधिकारी यहां भेजे गए, एसपी अभिषेक मीणा, भोजराम पटेल, उदय किरण से लेकर कलेक्टर रानू साहू और संजीव झा ने माहौल खराब किया।
सरकार के विरुद्ध एंटी इनकंबेंसी पैदा की,षड्यंत्र के तहत अपराध भी कराए गए और उन सब का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा।