राखड़ लोड हाइवा ने स्कूल से लौट रही प्रधान पाठक को रौंदा, मौके पर हुई मौत, जानें पूरा मामला…
कोरबा( न्यूज उड़ान ) : राखड़ परिवहन करने वाली गाड़ियां रोज राहगीरों के लिए मौत बनकर दौड़ रही है. आय दिन एक से बढ़कर एक नयी घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसे ही राखड़ लोड हाइवा ने रिंग रोड पर झगहरा के पास एक महिला को रौंद दिया। घटना स्थल पर ही महिला की मौत हो गई, मौके में पहुंची पुलिस जाँच में जुटी हैं।
महिला की पहचान बालको नगर सेक्टर-4 में रहने वाली रोशनी बंजारे से की गई. जो ग्राम बुंदेली के प्राथमिक शाला में प्रधान पाठक थी. 29 नवम्बर बुधवार को स्कूटी से विद्यालय गई थी. छुट्टी के बाद शाम को झगरहा के रास्ते से स्कूटी से लौट रही थी. इसी दौरान झगरहा पुलिस बैरिकैट्स के पास शाम लगभग 4 बजे विपरीत दिशा से आ रही तेज रफ्तार हाइवा ने स्कूटी को रौंद दिया। महिला सड़क पर गिर गई. उसके माथे पर गंभीर चोट आई. यह देखकर रास्ते में गुजर रहे लोगों ने महिला की मदद करने की कोशिश की उसे अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया, इससे पहले ही महिला ने अपना दम तोड़ दिया।
दुर्घटना का कारण हाइवा चालक की लापरवाही को बताया जा रहा है. पुलिस बैरिकैट्स के पास रोशनी ने स्कूटी को धीरे कर वह किनारे से स्कूटी को निकल रही थी।
इसी बीच सामने से तेज रफ्तार हाइवा आ गया. आगे निकलने की जल्दबाजी में चालक ने हाइवा को किनारे से स्कूटी को टक्कर मार दिया।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने जांच में जुट गयी। पुलिस को लोगों ने बताया कि हाइवा की ठोकर से महिला सड़क पर गिर गई. रास्ते से गुजर रहे लोगों ने महिला की मदद के लिए आगे बढ़े इस बीच चालक मौका पाकर हाइवा लेकर घटनास्थल से फरार हो गया।
जिससे चालक की पहचान नहीं हो सकी. पुलिस पतासाजी कर रहा है, जिस स्थान पर घटना हुई. वहां डेंटर पॉइंट के रूप में चिन्हांकित है. बतादें यहां अक्सर दुर्घटनाएं घटित हो रहे है.
दो बच्चों के सर से उठा मां का आंचल रोशनी के पति भुवनेश्वर बंजारे बालको कर्मी है. वे सब परिवार के साथ सेक्टर-4 मकान में रहते हैं. रोशनी के दो बच्चे हैं. एक बेटी जो की कक्षा दूसरी की छात्रा है. और एक पुत्र जो पांचवी का छात्र है. रोशनी की मौत परिवार में मातम छाया हुआ है। इसके दोनों बच्चों के सर से मां का आंचल उठ गया है. इनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हैं।
इसका जिम्मेदार कौन होगा?
राखड़ लोड गाड़ियां नियम कायदों को तोड़ कर गाड़ियां चला रहें हैं कि लोगों की जान लेना उनके लिए कोई आम बात हो गयी हो, ना तो उनकी रफ्तार कम है और ना ही इसे चलाने वाली अनुभवी चालक है. इस पर प्रशासन अब तक भी अंकुश नहीं लग सका है. आये दिन कोई न कोई व्यक्ति हादसे का शिकार हो रहा हैं। कम उम्र के चालकों के पास राखड़ परिवहन चलने वाली गाड़ियों की स्टेरिंग है. जल्दी-जल्दी गाड़ी को खाली कर दूसरा फेर लेने के चक्कर में ड्राइवर राहगीरों को ठोकर मार देते हैं. अगर ऐसे ही चलता रहा तो शहर मौत की नगरी बन जाएगी।
अब तक प्रशासन इस पर अंकुश क्यों नहीं लगा पा रहा हैं? आये दिन हो रहे हादसे का जिम्मेदार कौन होगा?